2,299
edits
mNo edit summary |
mNo edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
प्रारंम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई०पू० में [[भारत]] में कोई एक सार्वभौम सत्ता नहीं थी और सम्पूर्ण राष्ट्र अनेक जनपदों में विभक्त था। | प्रारंम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई०पू० में [[भारत]] में कोई एक सार्वभौम सत्ता नहीं थी और सम्पूर्ण राष्ट्र अनेक जनपदों में विभक्त था। ऋग्वैदिक विवरणों से ज्ञात होता है कि किसी एक [[पूर्वज]] से उत्पन्न विभिन्न कुटुम्बों के समूह को जन कहते थे और इस प्रकार सभी आर्य अनेक जनों में विभक्त थे। वैदिक संहिताओं में कहीं पर भी [[जनपद]] शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है। अतः विद्वानों का अनुमान है कि प्रारम्भ में ये जन खानाबदोश थे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमा करते थे किन्तु ब्राह्मण-ग्रन्थों में जनपद शब्द का प्रयोग मिलता है. अतः ऐसा प्रतीत होता है कि ब्राह्मण-काल तक आते-आते जनों ने अपने-अपने स्थायी राज्य स्थापित कर लिये थे और जो जन जिस प्रदेश में स्थायी रूप से रहने लगे थे, वही उनका जनपद कहलाने लगा था। प्रत्येक जनपद में बहुत से ग्राम और नगर होते थे। इस काल में लोहे का व्यापक उपयोग किया जाने लगा था, जिसके कृषि के व्यवस्थित विकास के साथ जनपदों में व्यापार की शुरुआत हुई और छोटे-छोटे जनपद (राज्य) आपस में जुड़ने लगे, जिसके परिणामस्वरूप [[सिन्धु घाटी सभ्यता |सिन्धु घाटी की सभ्यता]] के अंत के बाद प्राचीन भारत फिर से बड़े शहरों का उदय हुआ, जिसे द्वितीय शहरीकरण कहा जाता है और इस तरह से महाजनपदों का उदय हुआ। | ||
इसी समय में बौद्ध और जैन सहित अनेक दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ। अधिकांशतः महाजनपदों पर राजा का ही शासन रहता था परन्तु गण और संघ नाम से प्रसिद्ध राज्यों में लोगों का समूह शासन करता था, इस समूह का हर व्यक्ति राजा कहलाता था। भगवान महावीर और भगवान बुद्ध इन्हीं गणों से संबन्धित थे। वज्जि संघ की ही तरह कुछ राज्यों में ज़मीन सहित आर्थिक स्रोतों पर राजा और गण सामूहिक नियंत्रण रखते थे। स्रोतों की कमी के कारण इन राज्यों के इतिहास लिखे नहीं जा सके परन्तु ऐसे राज्य सम्भवतः एक हज़ार साल तक बने रहे थे। | इसी समय में बौद्ध और जैन सहित अनेक दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ। अधिकांशतः महाजनपदों पर राजा का ही शासन रहता था परन्तु गण और संघ नाम से प्रसिद्ध राज्यों में लोगों का समूह शासन करता था, इस समूह का हर व्यक्ति राजा कहलाता था। भगवान महावीर और भगवान बुद्ध इन्हीं गणों से संबन्धित थे। वज्जि संघ की ही तरह कुछ राज्यों में ज़मीन सहित आर्थिक स्रोतों पर राजा और गण सामूहिक नियंत्रण रखते थे। स्रोतों की कमी के कारण इन राज्यों के इतिहास लिखे नहीं जा सके परन्तु ऐसे राज्य सम्भवतः एक हज़ार साल तक बने रहे थे। | ||