प्राचीन भारत का इतिहास: Difference between revisions

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प्राचीन भारतीय इतिहास-लेखन के ब्राह्मण-धर्म-सम्बन्धी साहित्यिक स्रोतों में पुराणों का नाम सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। महापुराणों की संख्या अट्ठारह है और ये अट्ठारह महापुराण है मत्स्य वायु विष्णु ब्रह्माण्ड, भागवत, ब्रहा, पदम् नारदीय - मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त्त, लिंग, वराह, स्कन्द, वामन, कूर्म तथा गरूड़ । इनके अतिरिक्त साम्ब, आद्य, नारसिंह, कालिका आदि अनेकानेक अन्य उपपुराण भी हैं। इनमें से ऊपर दिये गए प्रथम पांच महापुराणों में विभिन्न प्राचीन भारतीय राजवंशों का विवरण उपलब्ध है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। पुराणों का रचना-काल मुख्यतः गुप्त-काल के आस-पास माना जाता है।
प्राचीन भारतीय इतिहास-लेखन के ब्राह्मण-धर्म-सम्बन्धी साहित्यिक स्रोतों में पुराणों का नाम सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। महापुराणों की संख्या अट्ठारह है और ये अट्ठारह महापुराण है मत्स्य वायु विष्णु ब्रह्माण्ड, भागवत, ब्रहा, पदम् नारदीय - मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त्त, लिंग, वराह, स्कन्द, वामन, कूर्म तथा गरूड़ । इनके अतिरिक्त साम्ब, आद्य, नारसिंह, कालिका आदि अनेकानेक अन्य उपपुराण भी हैं। इनमें से ऊपर दिये गए प्रथम पांच महापुराणों में विभिन्न प्राचीन भारतीय राजवंशों का विवरण उपलब्ध है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। पुराणों का रचना-काल मुख्यतः गुप्त-काल के आस-पास माना जाता है।


====बौद्ध-धर्म से संबंधित ग्रंथ====
===बौद्ध-धर्म से संबंधित ग्रंथ===
बौद्ध-धर्म से संबंधित ग्रन्थ पालि तथा संस्कृत दो भाषाओं में मिलते है। इनमें प्राचीनतम तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं: पालि भाषा में रचित त्रिपिटक । त्रिपिटक की रचना ई०पू० की पांचवीं से पहली शती के बीच हुई बतायी जाती है। यह तीन पिटक है सुत्तपिटक, विनयपिटक तथा अभिधम्मपिटक सुत्तपिटक में गौतम बुद्ध के धार्मिक उपदेशों का संग्रह है। इसमें पांच निकाय हैं दीघनिकाय, मज्झिमनिकाय, संयुक्तनिकाय, अंगुत्तरनिकाय तथा खुद्दकनिकाय विनयपिटक में बौद्ध-संघ से 1 संबंधित विधि-विधानों का संग्रह है इसके भी तीन खण्ड हैं- सुत्तविभंग, खंदक और परिवार । अभिधम्मपिटक में गौतमबुद्ध के धार्मिक सिद्धान्तों को प्रश्नोत्तर-शैली में विवेचित किया गया है। इसमें कथावत्थु धम्मसंगणि, विभंग, धातुकथा, पुग्गलपंजति आदि ग्रन्थ आते हैं। पालि भाषा में रचित अन्य बौद्ध-ग्रन्थों को अनुपिटक कहा जाता है। अनुपिटकों में प्राचीन भारतीय इतिहास-लेखन की दृष्टि से मिलिन्दपन्हो, दीपवंश तथा महावंश का नाम महत्वपूर्ण है तथा संस्कृत बौद्ध-ग्रन्थों में बुद्धचरित, ललितविस्तर, दिव्यावदान, महावस्तु सौरदानन्द आदि उल्लेखनीय हैं।  
बौद्ध-धर्म से संबंधित ग्रन्थ पालि तथा संस्कृत दो भाषाओं में मिलते है। इनमें प्राचीनतम तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं: पालि भाषा में रचित त्रिपिटक । त्रिपिटक की रचना ई०पू० की पांचवीं से पहली शती के बीच हुई बतायी जाती है। यह तीन पिटक है सुत्तपिटक, विनयपिटक तथा अभिधम्मपिटक सुत्तपिटक में गौतम बुद्ध के धार्मिक उपदेशों का संग्रह है। इसमें पांच निकाय हैं दीघनिकाय, मज्झिमनिकाय, संयुक्तनिकाय, अंगुत्तरनिकाय तथा खुद्दकनिकाय विनयपिटक में बौद्ध-संघ से 1 संबंधित विधि-विधानों का संग्रह है इसके भी तीन खण्ड हैं- सुत्तविभंग, खंदक और परिवार । अभिधम्मपिटक में गौतमबुद्ध के धार्मिक सिद्धान्तों को प्रश्नोत्तर-शैली में विवेचित किया गया है। इसमें कथावत्थु धम्मसंगणि, विभंग, धातुकथा, पुग्गलपंजति आदि ग्रन्थ आते हैं। पालि भाषा में रचित अन्य बौद्ध-ग्रन्थों को अनुपिटक कहा जाता है। अनुपिटकों में प्राचीन भारतीय इतिहास-लेखन की दृष्टि से मिलिन्दपन्हो, दीपवंश तथा महावंश का नाम महत्वपूर्ण है तथा संस्कृत बौद्ध-ग्रन्थों में बुद्धचरित, ललितविस्तर, दिव्यावदान, महावस्तु सौरदानन्द आदि उल्लेखनीय हैं।


====जैन धर्म से संबंधित ग्रंथ====
====जैन धर्म से संबंधित ग्रंथ====

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