2,299
edits
m (Nanubhardwaj.51 moved page प्राचीन भारत to प्राचीन भारत का इतिहास without leaving a redirect) |
mNo edit summary |
||
Line 27: | Line 27: | ||
पुरातात्विक साक्ष्य कई रूपों में मिलते हैं जैसे- बर्तन, मूर्तियाँ, भवन, अभिलेख, हथियार और औजार आदि। इनसे सामान्य जन-जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश पड़ता है। कभी-कभी इन साक्ष्यों से मनुष्यों की मान्यताओं और मूल्यों के विषय में भी अनुमान लगाया जा सकता है। पुरातात्विक साक्ष्यों को आगे निम्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: | पुरातात्विक साक्ष्य कई रूपों में मिलते हैं जैसे- बर्तन, मूर्तियाँ, भवन, अभिलेख, हथियार और औजार आदि। इनसे सामान्य जन-जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश पड़ता है। कभी-कभी इन साक्ष्यों से मनुष्यों की मान्यताओं और मूल्यों के विषय में भी अनुमान लगाया जा सकता है। पुरातात्विक साक्ष्यों को आगे निम्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: | ||
===पुरावशेष=== | |||
=== | भारत में समय-समय पर होने वाले पुरातात्विक स्थलों के उत्खनन में प्रचुर संख्या में प्राचीन भारतीय संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। जैसे- मानव-मुण्ड, पाषाण-उपकरण, मृद्भाण्ड, लौह-उपकरण आदि। इनके सूक्ष्म अध्ययन से हमें अपनी प्रागैतिहासिक सभ्यता का ज्ञान होता है। बड़ी संख्या में ये उपकरण हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, पाटलिपुत्र, वैशाली, नालंदा, अयोध्या, अतिरंजीखेड़ा, कौशाम्बी आदि स्थानों पर हुए उत्खननों में प्राप्त हुए हैं, जो तत्कालीन धर्म, सामाजिक जीवन, नगर-व्यवस्था आदि पर प्रकाश डालते हैं। पाटलिपुत्र से मिले चन्द्रगुप्त मौर्य के महल के लकड़ी के अवशेष इस तथ्य पर प्रकाश डालते हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य के समय तक भारतीय स्थापत्य में लकड़ी का अधिक प्रयोग होता था और प्रासाद आदि के निर्माण में बहुतायत से पाषाण का प्रयोग अशोक के काल से प्रारम्भ हुआ था। | ||
===आभिलेख=== | |||
भारतीय इतिहास में आभिलेखिक साक्ष्यों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ब्राह्मी, खरोष्ठी तथा युनानी अभिलेख प्राचीन भारतीय इतिहास लिखने में बहुत सहायक हैं। ये अभिलेख अधिकांशतः स्तम्भों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं पात्रों, मूर्तियों, गुहाओं आदि में खुदे हुए मिलते हैं। इनसे राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा प्रशासनिक पहलुओं पर जानकारी प्राप्त होती है। भारत में सबसे पुराने अभिलेख अशोक के अभिलेख माने गए हैं, जो खरोष्टी लिपि या ब्राह्मी लिपि में लिखे गये हैं। विश्व में प्राचीनतम अभिलेख मध्य एशिया के ‘बोगजकोई‘ नाम स्थान से क़रीब 1400 ई.पू. में पाये गये जिनमें अनेक वैदिक देवताओं - इन्द्र, मित्र, वरुण, नासत्य आदि का उल्लेख मिलता है। | भारतीय इतिहास में आभिलेखिक साक्ष्यों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ब्राह्मी, खरोष्ठी तथा युनानी अभिलेख प्राचीन भारतीय इतिहास लिखने में बहुत सहायक हैं। ये अभिलेख अधिकांशतः स्तम्भों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं पात्रों, मूर्तियों, गुहाओं आदि में खुदे हुए मिलते हैं। इनसे राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा प्रशासनिक पहलुओं पर जानकारी प्राप्त होती है। भारत में सबसे पुराने अभिलेख अशोक के अभिलेख माने गए हैं, जो खरोष्टी लिपि या ब्राह्मी लिपि में लिखे गये हैं। विश्व में प्राचीनतम अभिलेख मध्य एशिया के ‘बोगजकोई‘ नाम स्थान से क़रीब 1400 ई.पू. में पाये गये जिनमें अनेक वैदिक देवताओं - इन्द्र, मित्र, वरुण, नासत्य आदि का उल्लेख मिलता है। | ||