भारत: Difference between revisions

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प्राचीन काल में भारत की सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में पामीर के पठार और हिन्दुकुश पर्वत से लेकर पूर्व में नागा, खासी, गोरा आदि पहाड़ियों तक और उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत थीं। भौगोलिक दृष्टि से इस देश को चार भागों में बाँटा गया है-
प्राचीन काल में भारत की सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में पामीर के पठार और हिन्दुकुश पर्वत से लेकर पूर्व में नागा, खासी, गोरा आदि पहाड़ियों तक और उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत थीं। भौगोलिक दृष्टि से इस देश को चार भागों में बाँटा गया है-


# उत्तर का पहाड़ी क्षेत्र - इसके अन्तर्गत कश्मीर, कांगड़ा, टेहरी, कुमायूँ और सिक्किम के क्षेत्र आते है। यहाँ के पूर्वी तथा उत्तरी प्रदेशों में मूलतः किरात जाति के लोग रहते थे।  
====उत्तर का पहाड़ी क्षेत्र====
# गंगा-घाटी का क्षेत्र - मनुस्मृति में पूर्वी समुद्र से लेकर पश्चिमी समुद्र तक तथा हिमालय से लेकर विन्ध्याचल तक के क्षेत्र को आर्यावर्त के नाम से संबोधित किया गया है-  
इसके अन्तर्गत कश्मीर, कांगड़ा, टेहरी, कुमायूँ और सिक्किम के क्षेत्र आते है। यहाँ के पूर्वी तथा उत्तरी प्रदेशों में मूलतः किरात जाति के लोग रहते थे।  
 
====गंगा-घाटी का क्षेत्र====
मनुस्मृति में पूर्वी समुद्र से लेकर पश्चिमी समुद्र तक तथा हिमालय से लेकर विन्ध्याचल तक के क्षेत्र को आर्यावर्त के नाम से संबोधित किया गया है-  
''तयोरेवान्तरं गिर्योरार्यावर्त विदुर्बुधाः ।।''<br/>
''तयोरेवान्तरं गिर्योरार्यावर्त विदुर्बुधाः ।।''<br/>
''आसमुद्रात्तु वे पूर्वादासमुद्रात्तु पश्चिमात् ।''
''आसमुद्रात्तु वे पूर्वादासमुद्रात्तु पश्चिमात् ।''
प्राचीन भारत में सिंधु गंगा, यमुना तथा इनकी सहायक नदियों से सिंचित उत्तर भारत का सम्पूर्ण मैदानी भाग आर्यावर्त कहलाता था और यहाँ के निवासी आर्य कहलाते थे। यह भारत का सबसे उपजाऊ और सम्पन्न प्रदेश था।
प्राचीन भारत में सिंधु गंगा, यमुना तथा इनकी सहायक नदियों से सिंचित उत्तर भारत का सम्पूर्ण मैदानी भाग आर्यावर्त कहलाता था और यहाँ के निवासी आर्य कहलाते थे। यह भारत का सबसे उपजाऊ और सम्पन्न प्रदेश था।


# दक्षिण का पठार - यह विन्ध्य पर्वत का पठारी क्षेत्र है, जिसमें नर्मदा नदी से लेकर कृष्णा और तुंगभद्रा के बीच के प्रदेश आते हैं। यहाँ मुख्यतः शबर पुलिन्द आदि आदिवासी जातियां रहती थीं।
====दक्षिण का पठार====
यह विन्ध्य पर्वत का पठारी क्षेत्र है, जिसमें नर्मदा नदी से लेकर कृष्णा और तुंगभद्रा के बीच के प्रदेश आते हैं। यहाँ मुख्यतः शबर पुलिन्द आदि आदिवासी जातियां रहती थीं।


# सुदूर दक्षिण के मैदान कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के दक्षिण की ओर स्थित, तीनों ओर समुद्र से घिरा क्षेत्र सुदूर दक्षिण, द्रविड अथवा तमिल क्षेत्र कहलाता था और यहाँ निवास करने वाली जाति द्रविड़ जाति कहलाती थी ।
====सुदूर दक्षिण के मैदान====
कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के दक्षिण की ओर स्थित, तीनों ओर समुद्र से घिरा क्षेत्र सुदूर दक्षिण, द्रविड अथवा तमिल क्षेत्र कहलाता था और यहाँ निवास करने वाली जाति द्रविड़ जाति कहलाती थी ।


यह देश उत्तर की ओर हिमालय पर्वत से तथा पूर्व, दक्षिण और पश्चिम की ओर हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। अपनी इस भौगोलिक बनावट के कारण सब ओर से सुरक्षित भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित रखने में सदैव सफल रहा है। यद्यपि बोलन और खैबर दर्रे से आने वाली अनेक विदेशी जातियों ने समय-समय पर भारत को आक्रान्त किया किन्तु वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को कभी समाप्त नहीं कर पायीं, अपितु अनेक जातियाँ भारत प्रवेश के बाद स्वयं यहाँ की संस्कृति में घुल-मिल कर रह गई। समस्त प्राकृतिक सम्पदाओं से सम्पन्न भारत प्राचीन काल से ही पूर्णतया आत्मनिर्भर तथा अपने आप में सम्पूर्ण एक छोटे विश्व के समान रहा है।
यह देश उत्तर की ओर हिमालय पर्वत से तथा पूर्व, दक्षिण और पश्चिम की ओर हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। अपनी इस भौगोलिक बनावट के कारण सब ओर से सुरक्षित भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित रखने में सदैव सफल रहा है। यद्यपि बोलन और खैबर दर्रे से आने वाली अनेक विदेशी जातियों ने समय-समय पर भारत को आक्रान्त किया किन्तु वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को कभी समाप्त नहीं कर पायीं, अपितु अनेक जातियाँ भारत प्रवेश के बाद स्वयं यहाँ की संस्कृति में घुल-मिल कर रह गई। समस्त प्राकृतिक सम्पदाओं से सम्पन्न भारत प्राचीन काल से ही पूर्णतया आत्मनिर्भर तथा अपने आप में सम्पूर्ण एक छोटे विश्व के समान रहा है।

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