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भारत विश्व के प्राचीनतम देशों में एक है। डॉ० राजबली पाण्डेय के अनुसार इस देश का नाम '''[[भारत]]''' ऋग्वेद में वर्णित एक शक्तिशाली एवं सभ्य जन-समुदाय भरत के नाम पर पड़ा। विष्णुपुराण में समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित देश को 'भारतवर्ष तथा वहाँ के निवासियों को भारती कहा गया है- | भारत विश्व के प्राचीनतम देशों में एक है। डॉ० राजबली पाण्डेय के अनुसार इस देश का नाम '''[[भारत]]''' ऋग्वेद में वर्णित एक शक्तिशाली एवं सभ्य जन-समुदाय भरत के नाम पर पड़ा। विष्णुपुराण में समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित देश को 'भारतवर्ष तथा वहाँ के निवासियों को भारती कहा गया है- | ||
''उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमादेश्चैव दक्षिणम् । '' | ''उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमादेश्चैव दक्षिणम् । '' | ||
''वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः ।।'' | ''वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः ।।'' | ||
भारतवर्ष के अतिरिक्त इस देश के दो अन्य प्रचलित नाम ''[[हिन्दुस्तान]]'' और ''[[इण्डिया]]'' भी हैं। हिन्दुस्तान नाम मूलतः ईरानियों को देन है। ईरानी भाषा में स को ह कहा जाता है। इसीलिए सिंधु नदी को हिन्दु तथा उसके समीप स्थित प्रदेश को हिन्दुस्थान कहा गया, जो बाद में बदलकर हिन्दुस्तान हो गया। इसी प्रकार इण्डिया नाम मूलतः यूनानियों की देन है। यूनानी भाषा में सिन्धु नदी को इण्डस कहा जाता था और उसी के आधार पर उन्होंने इण्डस के समीपवर्ती क्षेत्र को इण्डिया' नाम दिया किन्तु 1947 ई. में अंग्रेजों से स्वतन्त्र होने के बाद नये संविधान में इस देश के भारत नाम को ही स्वीकार किया गया है। | भारतवर्ष के अतिरिक्त इस देश के दो अन्य प्रचलित नाम ''[[हिन्दुस्तान]]'' और ''[[इण्डिया]]'' भी हैं। हिन्दुस्तान नाम मूलतः ईरानियों को देन है। ईरानी भाषा में स को ह कहा जाता है। इसीलिए सिंधु नदी को हिन्दु तथा उसके समीप स्थित प्रदेश को हिन्दुस्थान कहा गया, जो बाद में बदलकर हिन्दुस्तान हो गया। इसी प्रकार इण्डिया नाम मूलतः यूनानियों की देन है। यूनानी भाषा में सिन्धु नदी को इण्डस कहा जाता था और उसी के आधार पर उन्होंने इण्डस के समीपवर्ती क्षेत्र को इण्डिया' नाम दिया किन्तु 1947 ई. में अंग्रेजों से स्वतन्त्र होने के बाद नये संविधान में इस देश के भारत नाम को ही स्वीकार किया गया है। | ||
प्राचीन काल में भारत की सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में पामीर के पठार और हिन्दुकुश पर्वत से लेकर पूर्व में नागा, खासी, गोरा आदि पहाड़ियों तक और उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत थीं। भौगोलिक दृष्टि से इस देश को चार भागों में बाँटा गया है- | प्राचीन काल में भारत की सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में पामीर के पठार और हिन्दुकुश पर्वत से लेकर पूर्व में नागा, खासी, गोरा आदि पहाड़ियों तक और उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत थीं। भौगोलिक दृष्टि से इस देश को चार भागों में बाँटा गया है- | ||