आंध्रप्रदेश
आंध्रप्रदेश, भारत के दक्षिण पूर्वी तटीय क्षेत्र में एक राज्य है। यह दक्षिण में तमिलनाडु, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम में कर्नाटक, उत्तर-पश्चिम और उत्तर में तेलंगाना और उत्तर-पूर्व में ओडिशा से घिरा है। आंध्र प्रदेश की पूर्वी सीमा पर बंगाल की खाड़ी के साथ 600 मील (970 किमी) की तटरेखा है।
आंध्र प्रदेश का एक लंबा और शानदार इतिहास है। महाभारत, रामायण, जातक कथाएँ और पुराण जैसे प्रसिद्ध भारतीय महाकाव्यों में इसका संदर्भ मिलता है। इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कई अलग-अलग राज्यों ने आंध्र प्रदेश की महान विरासत में योगदान दिया है। इस दक्षिण भारतीय राज्य की संस्कृति और परंपराएँ राजाओं से बहुत प्रभावित रही हैं। काफी संघर्ष के बाद, पूर्व मद्रास राज्य के 11 जिलों ने अंततः 1 अक्टूबर, 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का निर्माण किया, जिसकी राजधानी कुरनूल थी। भारत का तेलंगाना राज्य लगभग छह दशकों तक आंध्र प्रदेश का ही एक भाग था, वर्ष 2014 में भारत सरकार द्वारा तेलंगाना को एक अलग राज्य बना दिया गया था।
आंध्रप्रदेश राज्य पत्थर की कारीगरी, गुडि़या बनाने के काम, मूर्तियों की नक्काशी, सुंदर चित्रकारी, लोक नृत्य जैसे यक्ष गणम, उरुमुला नाट्यम, घाटो नाट्यम एवं त्यौहार, जैसे संक्रांति, दशहरा, वरलक्ष्मी, दीपावली, नागुला चविति और अट्टू, डोसा, उलवचारु और पायसम जैसे व्यंजनों के लिए जाना जाता है।
इतिहास
आंध्र प्रदेश क्षेत्र का एक समृद्ध और विविध इतिहास है जो हजारों साल पुराना है। आंध्र प्रदेश का ज्ञात इतिहास वैदिक युग से मिलता है। ऐतरेय ब्राह्मण (800 ईसा पूर्व) जैसे संस्कृत महाकाव्यों में इसका उल्लेख है। सोलह महाजनपदों (700-300 ईसा पूर्व) में से एक जनपद, अस्सका, गोदावरी और कृष्णा नदियों के बीच स्थित था।
प्राचीन काल: इस क्षेत्र की सबसे प्रारंभिक ज्ञात सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता है, जिसका आंध्र प्रदेश के पूर्वी भाग पर कुछ प्रभाव था। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के शासन के तहत मौर्य साम्राज्य का आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण था।
सातवाहन और इक्ष्वाकु: सातवाहन राजवंश, सबसे शुरुआती दक्षिण भारतीय राजवंशों में से एक, दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास उभरा और कई शताब्दियों तक आंध्र प्रदेश के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर शासन किया। इक्ष्वाकु सातवाहनों के उत्तराधिकारी बने और कई बौद्ध स्तूपों और विहारों के निर्माण के लिए जिम्मेदार थे।
विजयनगर साम्राज्य: 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य का उदय हुआ, जिसकी स्थापना हरिहर और बुक्का ने की थी। हम्पी में अपनी राजधानी के साथ साम्राज्य, वर्तमान आंध्र प्रदेश सहित दक्षिण भारत के बड़े हिस्से को कवर करता था। यह क्षेत्र में कला, साहित्य और वास्तुकला का स्वर्ण युग था।
कुतुब शाही और निज़ाम शासन: 16वीं शताब्दी में, कुतुब शाही राजवंश ने हैदराबाद में अपनी राजधानी के साथ गोलकुंडा सल्तनत की स्थापना की। गोलकुंडा सल्तनत फली-फूली और अपने हीरे के व्यापार के लिए जानी जाने लगी। 17वीं शताब्दी के अंत में, मुगल साम्राज्य ने गोलकुंडा पर कब्जा कर लिया, लेकिन कुतुब शाही राजवंश ने मुगलों के जागीरदार के रूप में शासन करना जारी रखा।
ब्रिटिश काल: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 18वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र में प्रभाव प्राप्त किया और धीरे-धीरे आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों पर अपना नियंत्रण बढ़ाया। अंग्रेजों ने मद्रास प्रेसीडेंसी की स्थापना की, जिसमें वर्तमान आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल थे।
आंध्र आंदोलन और आंध्र प्रदेश का गठन: 20वीं सदी की शुरुआत में, आंध्र क्षेत्र में एक सांस्कृतिक और राजनीतिक आंदोलन देखा गया, जिसे आंध्र आंदोलन के नाम से जाना जाता है, जिसमें एक अलग आंध्र राज्य के निर्माण की मांग की गई थी। आंदोलन ने गति पकड़ी और 1953 में आंध्र राज्य को मद्रास प्रेसीडेंसी से अलग कर दिया गया। बाद में, 1956 में आंध्र प्रदेश के तेलुगु भाषी क्षेत्रों को पूर्व हैदराबाद राज्य के तेलंगाना क्षेत्र के साथ मिलाकर आंध्र प्रदेश का गठन किया गया।
तेलंगाना का पृथक्करण: एक अलग राज्य की वर्षों की मांग के बाद, तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग होकर 2 जून 2014 को भारत का 29वां राज्य बन गया। इस विभाजन के कारण दो अलग-अलग राज्यों, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का गठन हुआ, जिसमें हैदराबाद शामिल था। एक निश्चित अवधि के लिए साझा पूंजी।
भौगोलिक स्थिति और सीमाएँ (Geographical Location and Boundaries)
आंध्र प्रदेश भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक विशाल और सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण राज्य है। यह राज्य 12°41′ उत्तरी अक्षांश से 19°07′ उत्तरी अक्षांश और 77° से 84°40′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है। इस प्रकार यह उष्णकटिबंधीय अक्षांशों में स्थित है, जिससे यहाँ की जलवायु, कृषि और प्राकृतिक विविधता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
सीमाएँ:
- पूर्व में: आंध्र प्रदेश की पूर्वी सीमा बंगाल की खाड़ी से मिलती है, जहाँ की लंबी समुद्री रेखा (लगभग 972 किलोमीटर) इसे व्यापार, मत्स्य उद्योग और नौपरिवहन के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती है।
- उत्तर में: यहाँ आंध्र प्रदेश की सीमा ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों से मिलती है। ये क्षेत्र पर्वतीय और खनिज संसाधनों से भरपूर हैं, जिससे सीमावर्ती जिलों में खनन और वन आधारित उद्योग विकसित हुए हैं।
- पश्चिम में: आंध्र प्रदेश की सीमा तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों से मिलती है। यह भूभाग अधिकतर पठारी है और यहाँ कृषि व जल संसाधनों की चुनौतियाँ रहती हैं।
- दक्षिण में: आंध्र प्रदेश की दक्षिणी सीमा तमिलनाडु राज्य से सटी हुई है। यहाँ सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान गहरा है।
राज्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 1,62,970 वर्ग किलोमीटर है। यह आंकड़ा इसे भारत का सातवाँ सबसे बड़ा राज्य बनाता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह अनेक यूरोपीय देशों से भी बड़ा है, जिससे इसकी भौगोलिक विविधता और संसाधनों की महत्ता और अधिक स्पष्ट हो जाती है।
स्थलाकृति (भौमिकी संरचना / Physiography)
आंध्र प्रदेश की भूमि संरचना अत्यंत विविधतापूर्ण है। राज्य की स्थलाकृति को व्यापक रूप से तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिनका प्राकृतिक स्वरूप, जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता और जीवनशैली में अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
(क) तटीय आंध्र (Coastal Andhra)
यह क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के समीप फैला हुआ है और राज्य के अधिकांश समृद्ध जिलों को समाहित करता है।
यहाँ की भूमि नदी-डेल्टा क्षेत्रों से बनी हुई है, विशेषकर गोदावरी और कृष्णा नदियों के संगम से बना हुआ उपजाऊ मैदान, जो कृषि के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
इस क्षेत्र को "भारत का चावल कटोरा" (Rice Bowl of India) कहा जाता है क्योंकि यहाँ धान की भरपूर खेती होती है।
क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों दृष्टियों से यह राज्य का सबसे बड़ा और सबसे घनी आबादी वाला भूभाग है।
(ख) रायलसीमा
रायलसीमा राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र है, जिसमें अनंतपुर, कडप्पा, कुरनूल और चित्तूर जैसे जिले आते हैं।
यह क्षेत्र पठारी और पथरीली भूमि वाला है, जहाँ वर्षा बहुत कम होती है, जिससे कृषि पर निर्भरता सीमित हो जाती है।
यह क्षेत्र सूखा-प्रभावित भी माना जाता है, और जल-संरक्षण व सिंचाई परियोजनाओं की आवश्यकता यहाँ सदैव बनी रहती है।
रायलसीमा में शुष्क जलवायु और कठिन भू-प्राकृतिक परिस्थितियाँ निवासियों की जीवनशैली और खेती को प्रभावित करती हैं।
(ग) उत्तर आंध्र या उत्तरी तटीय क्षेत्र (Uttarandhra / North Coastal Andhra)
यह क्षेत्र विशाखापत्तनम, श्रीकाकुलम और विजयनगरम जैसे जिलों को समाहित करता है।
यहाँ की स्थलाकृति मिश्रित है, जहाँ एक ओर समुद्री तट है तो दूसरी ओर पूर्वी घाट की पर्वत श्रंखलाएँ भी फैली हैं।
यह भूभाग खनिज संसाधनों (बॉक्साइट, लौह अयस्क आदि) से समृद्ध है और राज्य के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यहाँ की भौगोलिक बनावट विविध जैव-विविधता को जन्म देती है, साथ ही यह क्षेत्र पारिस्थितिक दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील है।
नदियाँ (Rivers)
आंध्र प्रदेश की नदियाँ राज्य की जीवनरेखा हैं। ये न केवल पीने का पानी, सिंचाई और विद्युत उत्पादन के लिए उपयोगी हैं, बल्कि इनसे राज्य की संस्कृति और सभ्यता भी जुड़ी हुई है।
मुख्य नदियाँ:
(क) गोदावरी नदी
भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी गोदावरी महाराष्ट्र के नासिक जिले से निकलती है और पूर्वी आंध्र प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
यह नदी एक विशाल डेल्टा क्षेत्र का निर्माण करती है, जो कृषि के लिए अत्यंत उपजाऊ और महत्त्वपूर्ण है।
गोदावरी पर पोलावरम परियोजना सहित कई सिंचाई और जलविद्युत योजनाएँ कार्यान्वित की गई हैं।
(ख) कृष्णा नदी
यह नदी कर्नाटक के महाबलेश्वर से निकलती है और आंध्र प्रदेश के मध्य भाग से होते हुए बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है।
विजयवाड़ा, गुंटूर और प्रकाशम जिलों की कृषि इस नदी पर निर्भर है।
नागरजुनसागर बाँध इस नदी पर बना प्रमुख बाँध है, जो सिंचाई और विद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
(ग) अन्य महत्वपूर्ण नदियाँ
- पेन्ना नदी: यह दक्षिणी आंध्र के लिए महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर कडप्पा और नेल्लोर जिलों में।
- वामसधारा नदी: यह नदी उत्तरी आंध्र प्रदेश (विशेषकर श्रीकाकुलम) में बहती है और कृषि के लिए उपयोगी है।
- नागावली नदी: यह भी उत्तरी आंध्र के लिए प्रमुख जलस्रोत है।
इन नदियों पर बने बाँध, जलाशय और सिंचाई प्रणालियाँ राज्य को जल-समृद्ध बनाती हैं और सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध होती हैं।
आंध्र प्रदेश की जलवायु (Climate of Andhra Pradesh)
आंध्र प्रदेश की जलवायु विविध और क्षेत्रीय विशेषताओं से युक्त है। इसकी भौगोलिक स्थिति, तटीय विस्तार, पर्वतीय क्षेत्र और पठारी भाग—सभी मिलकर राज्य में एक अनोखा जलवायवीय स्वरूप निर्मित करते हैं। राज्य मुख्यतः उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र में आता है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में तापमान, वर्षा और आर्द्रता में स्पष्ट अंतर देखा जाता है।
जलवायु के प्रकार
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार आंध्र प्रदेश की जलवायु को निम्नलिखित तीन प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है:
(क) उष्णकटिबंधीय नम जलवायु (Tropical Humid Climate)
यह जलवायु तटीय आंध्र प्रदेश में पाई जाती है, जहाँ बंगाल की खाड़ी का प्रभाव प्रमुख है। यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान और उच्च आर्द्रता बनी रहती है।
(ख) अर्ध-शुष्क जलवायु (Semi-arid Climate)
यह जलवायु रायलसीमा क्षेत्र (जैसे अनंतपुर, कडप्पा आदि) में देखी जाती है। यहाँ वर्षा बहुत कम होती है और गर्मी प्रचंड होती है।
(ग) उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु (Sub-tropical Climate)
उत्तर आंध्र प्रदेश और पूर्वी घाट के कुछ हिस्सों में यह जलवायु पाई जाती है, जहाँ तापमान और वर्षा दोनों में संतुलन रहता है।
प्रमुख ऋतुएँ (Seasons)
आंध्र प्रदेश में चार प्रमुख ऋतुएँ होती हैं:
(i) गर्मी का मौसम (ग्रीष्मकाल) – मार्च से जून
- यह मौसम अत्यंत गर्म होता है, विशेषकर रायलसीमा और तटीय क्षेत्रों में।
- तापमान अक्सर 40°C से ऊपर चला जाता है, कुछ जिलों (जैसे अनंतपुर, कर्नूल) में यह 45°C तक पहुँच जाता है।
- लू चलना सामान्य बात है और जल संकट भी गहराता है।
(ii) दक्षिण-पश्चिम मानसून – जून से सितंबर
- यह राज्य की वर्षा का प्रमुख स्रोत है।
- गोदावरी और कृष्णा डेल्टा क्षेत्रों में भरपूर वर्षा होती है।
- रायलसीमा को अपेक्षाकृत कम वर्षा प्राप्त होती है।
- औसत वर्षा: लगभग 600–1100 मिमी प्रति वर्ष, जो क्षेत्र अनुसार भिन्न होती है।
(iii) शरदकाल / मानसून उपरांत – अक्टूबर से नवंबर
- इस समय आंध्र प्रदेश को उत्तरी-पूर्वी मानसून से भी वर्षा प्राप्त होती है, विशेष रूप से दक्षिणी जिलों (नेल्लोर, चित्तूर आदि) में।
- इस काल में बंगाल की खाड़ी में चक्रवात भी आते हैं जो विनाशकारी हो सकते हैं।
(iv) शीतकाल – दिसंबर से फरवरी
- तापमान अपेक्षाकृत कम होता है लेकिन राज्य के अधिकांश भागों में ठंड कठोर नहीं होती।
- न्यूनतम तापमान सामान्यतः 15°C से 20°C के बीच रहता है।
- यह मौसम कृषि और पर्यटन दोनों के लिए अनुकूल होता है।
क्षेत्रीय जलवायु अंतर
क्षेत्र | वर्षा (औसतन) | विशेषताएँ |
---|---|---|
तटीय आंध्र | 1000–1100 मिमी | अधिक आर्द्रता, चक्रवात संभावित |
रायलसीमा | 500–700 मिमी | सूखा-प्रवण, कम वर्षा, गर्म तापमान |
उत्तर आंध्र | 800–1000 मिमी | पर्वतीय प्रभाव, मध्यम वर्षा |
जलवायु का प्रभाव
- कृषि पर प्रभाव: जलवायु का राज्य की कृषि पर गहरा प्रभाव है। धान, कपास, मूँगफली और गन्ना जैसी फसलें मानसून पर निर्भर हैं।
- सिंचाई की आवश्यकता: रायलसीमा जैसे अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जल संरक्षण, टैंक सिंचाई और नहरों की विशेष आवश्यकता होती है।
- प्राकृतिक आपदाएँ: चक्रवात, बाढ़ और सूखे राज्य की नियमित जलवायु संबंधी चुनौतियाँ हैं।
हाल के जलवायु परिवर्तन
- समुद्रतटीय क्षेत्रों में चक्रवातों की तीव्रता बढ़ी है।
- तापमान में औसतन 0.3°C की वृद्धि पिछले तीन दशकों में देखी गई है।
- वर्षा का वितरण असंतुलित होता जा रहा है, जिससे कृषि पैटर्न पर असर पड़ा है।
अर्थव्यवस्था (Economy of Andhra Pradesh)
आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था भारत के सबसे तेजी से उभरते हुए राज्यों में से एक है। कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में संतुलित विकास के कारण यह राज्य दक्षिण भारत की आर्थिक रीढ़ बनता जा रहा है। भौगोलिक विविधता, खनिज संसाधनों की प्रचुरता, लंबी समुद्री सीमा और औद्योगिक निवेश इसे आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP)
- आंध्र प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 2023–24 में ₹13.17 लाख करोड़ (लगभग) रहा।
- यह राज्य भारत के शीर्ष 10 सबसे बड़े अर्थव्यवस्थाओं वाले राज्यों में शामिल है।
- GSDP में सेवा क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक है, इसके बाद उद्योग और कृषि क्षेत्र आते हैं।
प्रमुख आर्थिक क्षेत्र
(1) कृषि और संबद्ध क्षेत्र
- आंध्र प्रदेश को "भारत का चावल कटोरा" (Rice Bowl of India) कहा जाता है।
- धान, गन्ना, कपास, मूँगफली, मिर्च और तंबाकू प्रमुख फसलें हैं।
- मत्स्य पालन (Fisheries) में राज्य अग्रणी है – विशेषकर कृष्णा और गोदावरी डेल्टा क्षेत्रों में।
- दुग्ध उत्पादन और पशुपालन भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(2) उद्योग और विनिर्माण (Industries and Manufacturing)
- राज्य में भारी उद्योगों से लेकर लघु व मध्यम उद्योगों तक का विस्तृत नेटवर्क है।
- विशाखापत्तनम एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है जहाँ इस्पात, पेट्रोकेमिकल, जहाज निर्माण आदि उद्योग हैं।
- अन्य प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र: काकीनाडा, विजयवाड़ा, श्रीकाकुलम, चित्तूर, कुरनूल।
- वस्त्र उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और सीमेंट उद्योग का भी अच्छा विकास हुआ है।
(3) सेवा क्षेत्र (Services Sector)
- सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और ITES सेवाओं का केंद्र: विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा।
- बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और रियल एस्टेट भी सेवा क्षेत्र को सशक्त बनाते हैं।
- आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के विकास से सेवा क्षेत्र को नई गति मिली है।
बुनियादी ढाँचा (Infrastructure)
- परिवहन: राजमार्ग, रेलवे और बंदरगाहों का विकसित नेटवर्क। काकीनाडा और विशाखापत्तनम में गहरे समुद्री बंदरगाह हैं।
- ऊर्जा: थर्मल, हाइड्रो और नवीकरणीय ऊर्जा (विशेषकर सौर और पवन ऊर्जा) का मिश्रित उत्पादन।
- जल संसाधन: पोलावरम, नागार्जुनसागर और श्रीराम सागर जैसी सिंचाई परियोजनाएँ कृषि को सहयोग देती हैं।
निवेश और औद्योगिक प्रोत्साहन
- राज्य सरकार ने ‘‘Ease of Doing Business’’ में उल्लेखनीय सुधार किए हैं।
- आंध्र प्रदेश कई वर्षों से ‘‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’’ रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।
- ‘‘YSR Jagananna Mega Industrial Hub’’ और ‘‘APIIC Industrial Parks’’ जैसे प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं।
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और निजी निवेश के लिए राज्य एक आकर्षक गंतव्य बन चुका है।
निर्यात (Exports)
- राज्य के प्रमुख निर्यात: समुद्री उत्पाद, फार्मास्युटिकल्स, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान।
- विशाखापत्तनम पोर्ट और काकीनाडा पोर्ट निर्यात के महत्त्वपूर्ण केंद्र हैं।
पर्यावरणीय और सतत विकास प्रयास
- हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) में आंध्र प्रदेश अग्रणी है – विशेषकर पवन और सौर ऊर्जा।
- जैविक खेती, जल संरक्षण, और टिकाऊ मछली पालन पर बल दिया जा रहा है।
आदिवासी/जनजाति समूह
जनसंख्या
वेशभूषा एवं पहनावा
संस्कृति और कला
खानपान
नृत्य
प्रमुख त्यौहार
भाषाएँ
शिक्षा व्यवस्था