अरुणाचल प्रदेश
परिचय
अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित एक सुंदर, पर्वतीय और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। यह राज्य भारत का "पूर्व का द्वार" (Land of the Rising Sun) कहलाता है क्योंकि भारत में सबसे पहले सूर्य की किरणें यहीं पड़ती हैं। यह राज्य घने जंगलों, ऊँचे पर्वतों, जैव-विविधता और अनेक जनजातीय संस्कृतियों से भरपूर है। यह राज्य सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सीमाएँ चीन, भूटान और म्यांमार जैसे देशों से मिलती हैं।
भौगोलिक स्थिति और सीमाएँ
अरुणाचल प्रदेश 26°28′N से 29°30′N अक्षांश और 91°30′E से 97°30′E देशांतर के बीच स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 83,743 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत के बड़े पर्वतीय राज्यों में से एक बनाता है।
उत्तर में: चीन (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र)
पूर्व में: म्यांमार
दक्षिण में: असम और नागालैंड
पश्चिम में: भूटान
प्रशासनिक ढाँचा
राजधानी: ईटानगर
जिलों की संख्या: 26 (2024 तक)
राज्यपाल: केंद्रीय द्वारा नियुक्त
मुख्यमंत्री: राज्य की विधानसभा द्वारा निर्वाचित
जनसांख्यिकी
जनसंख्या (2011 जनगणना अनुसार): लगभग 13.8 लाख
जनघनत्व: लगभग 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
लिंगानुपात: लगभग 938 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
साक्षरता दर: लगभग 65%
जनजातियाँ: राज्य में लगभग 26 प्रमुख जनजातियाँ और 100 से अधिक उप-जनजातियाँ निवास करती हैं। इनमें प्रमुख हैं: न्यीशी, तानी, आदि, मिश्मी, अपतानी, मोनपा, तगिन, नोक्ते, वांचो आदि।
जलवायु और प्राकृतिक सौंदर्य
राज्य की जलवायु ऊँचाई के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है:
निचले क्षेत्र: उपोष्णकटिबंधीय जलवायु
मध्यवर्ती क्षेत्र: समशीतोष्ण जलवायु
ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र: आल्पाइन जलवायु और बर्फबारी
प्राकृतिक सुंदरता में राज्य अतुलनीय है। यहाँ घने वर्षावन, बहती नदियाँ, झरने, बर्फ से ढके पहाड़ और दुर्लभ वन्यजीव हैं।
प्रमुख नदियाँ
सियांग नदी: ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती भाग जब भारत में प्रवेश करता है तो उसे सियांग कहा जाता है।
अन्य प्रमुख नदियाँ: सुबनसिरी, लोहित, तिरप, दिबांग
आर्थिक संरचना
कृषि
झूम खेती (Shifting Cultivation) अभी भी कई जनजातियों द्वारा अपनाई जाती है।
चावल, मक्का, गेहूँ, बाजरा, दलहन प्रमुख फसलें हैं।
बागवानी (सेब, संतरा, अदरक, बेंत आदि) तेजी से विकसित हो रही है।
वानिकी और बाँस उद्योग
राज्य के 80% से अधिक क्षेत्र पर वन फैले हैं।
बाँस और गन्ने से बने शिल्प यहाँ की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का हिस्सा हैं।
पर्यटन
प्राकृतिक, साहसिक, आध्यात्मिक और जनजातीय पर्यटन की विशाल संभावनाएँ हैं।
प्रमुख स्थल: तवांग मठ, बुमला पास, जीरो घाटी, पार्शुराम कुंड, नामदाफा नेशनल पार्क, सेल पास
संस्कृति और समाज
राज्य की संस्कृति अत्यंत रंगीन, विविध और पारंपरिक है।
हर जनजाति की अपनी भाषा, पहनावा, लोकगीत, नृत्य और रीति-रिवाज होते हैं।
यहाँ के उत्सव प्रकृति और जीवन से जुड़े होते हैं। प्रमुख त्योहारों में लॉसर, सोलुंग, न्योकुम, ड्री, मोपिन, रीह आदि शामिल हैं।
भाषाएँ
राज्य में 30 से अधिक स्थानीय भाषाएँ बोली जाती हैं।
अंग्रेज़ी राजकीय भाषा है।
हिंदी और असमिया भी प्रमुख संपर्क भाषाओं में हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य
राज्य में शिक्षा की पहुँच बढ़ रही है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में।
ईटानगर, पासीघाट और बोमडिला में प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार जारी है, लेकिन कई दूरदराज़ क्षेत्रों में अब भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ अपर्याप्त हैं।
परिवहन और संचार
राज्य सड़क मार्ग से असम से जुड़ा है।
ईटानगर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (डोनी पोलो एयरपोर्ट) हाल ही में चालू हुआ है।
रेलवे कनेक्टिविटी में भी विस्तार हो रहा है (नाहरलगुन रेलवे स्टेशन प्रमुख है)।
सामरिक महत्त्व
चीन सीमा पर स्थित होने के कारण यहाँ सेना और ITBP की कई चौकियाँ हैं।
तवांग क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण है।
पर्यावरणीय महत्त्व
अरुणाचल प्रदेश जैव विविधता हॉटस्पॉट में आता है।
यहाँ दुर्लभ प्रजातियों के पौधे, जीव-जंतु पाए जाते हैं – जैसे रेड पांडा, मस्क डियर, हिम तेंदुआ आदि।
नामदाफा नेशनल पार्क और माउलिंग राष्ट्रीय उद्यान यहाँ के प्रमुख संरक्षित क्षेत्र हैं।
निष्कर्ष
अरुणाचल प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और रणनीतिक महत्त्व से भरपूर राज्य है। इसकी अद्वितीय जनजातीय जीवनशैली, विविध भाषा और परंपराएँ, साथ ही विकास की राह पर बढ़ते कदम, इसे भारत का एक अनोखा और महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं।