रवींद्रनाथ ठाकुर
रवींद्रनाथ ठाकुर | |
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File:Rabindranath Tagore 1909.jpg | |
रवींद्रनाथ ठाकुर (1909) | |
जन्म तिथि | 7 May 1861 (आयु: 164) |
जन्म स्थान | कोलकाता, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि | 80 वर्ष,
951 महीने |
मृत्यु स्थान | कोलकाता, ब्रिटिश भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | कवि, दार्शनिक, संगीतकार, चित्रकार, लेखक |
प्रसिद्ध कार्य | गीतांजलि, जन गण मन, रवींद्र संगीत |
पुरस्कार | नोबेल पुरस्कार (साहित्य, 1913) |
रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore; 7 मई 1861 – 7 अगस्त 1941) एक भारतीय कवि, दार्शनिक, संगीतकार, और नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक थे। उन्हें गुरुदेव, कविगुरु और विश्वकवि के नाम से जाना जाता है। उन्होंने भारतीय और बांग्ला साहित्य को एक नई दिशा दी और भारत के राष्ट्रीय गान "जन गण मन" की रचना की।
प्रारंभिक जीवन
रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के एक समृद्ध और सांस्कृतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता देवेन्द्रनाथ ठाकुर ब्रह्म समाज के प्रमुख सदस्य थे।
साहित्यिक योगदान
उन्होंने छोटी कहानियों, कविताओं, नाटकों, उपन्यासों और निबंधों की रचना की। उनकी सबसे प्रसिद्ध काव्य रचना "गीतांजलि" है, जिसके लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला।
दार्शनिक दृष्टिकोण
रवींद्रनाथ का दर्शन आत्मा, प्रकृति और मानवता की एकता में विश्वास करता था। वे शिक्षा को भी एक आध्यात्मिक प्रक्रिया मानते थे और इसी सोच से शांतिनिकेतन की स्थापना की।
संगीत और कला
उन्होंने 2,000 से अधिक गीतों की रचना की, जिन्हें "रवींद्र संगीत" के नाम से जाना जाता है। वह एक कुशल चित्रकार भी थे।
मृत्यु
7 अगस्त 1941 को कोलकाता में उनकी मृत्यु हो गई। उनका योगदान आज भी भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अमूल्य भाग है।
विरासत
- भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के राष्ट्रीय गान उनसे जुड़े हैं।
- शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय उनकी शैक्षिक सोच का प्रतीक है।
- 1961 में भारत सरकार ने उनके जन्म के 100 वर्ष पूरे होने पर विशेष डाक टिकट जारी किया।
देखिए
संदर्भ