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इन दोनों सूचियों में छः जनपदों अंग, मगध (मगह), वत्स (वच्छ), वज्जि, काशी और कोशल के नाम समान हैं तथा जैन-सूची के मालव और मोलि को बौद्ध-सूची के क्रमशः अवन्ति और मल्ल से पहचाना जा सकता है। रायचौधरी के अनुसार भगवतीसूत्र की सूची अंगुत्तरनिकाय के बाद की है। अतः यहाँ अंगुत्तरनिकाय की सूची को ही प्रामाणिक माना गया है। | इन दोनों सूचियों में छः जनपदों अंग, मगध (मगह), वत्स (वच्छ), वज्जि, काशी और कोशल के नाम समान हैं तथा जैन-सूची के मालव और मोलि को बौद्ध-सूची के क्रमशः अवन्ति और मल्ल से पहचाना जा सकता है। [[रायचौधरी]] के अनुसार भगवतीसूत्र की सूची अंगुत्तरनिकाय के बाद की है। अतः यहाँ अंगुत्तरनिकाय की सूची को ही प्रामाणिक माना गया है। |