मगध का उत्कर्ष: Difference between revisions

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मगध महाजनपद प्राचीनकाल से ही राजनीतिक उत्थान, पतन एवं सामाजिक-धार्मिक जागृति का केंद्र-बिंदु रहा है। छठीं शताब्दी ई.पू. के सोलह [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक मगध बुद्धकाल में शक्तिशाली व संगठित राजतंत्र था। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी। इस राज्य का विस्तार उत्तर में गंगा, पश्चिम में सोन तथा दक्षिण में जगंलाच्छादित पठारी प्रदेक तक था। कालांतर में मगध का उत्तरोत्तर विकास होता गया और भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के विकास की दृष्टि से मगध का इतिहास ही संपूर्ण भारतवर्ष का इतिहास बन गया।
मगध महाजनपद प्राचीनकाल से ही राजनीतिक उत्थान, पतन एवं सामाजिक-धार्मिक जागृति का केंद्र-बिंदु रहा है। छठीं शताब्दी ई.पू. के सोलह [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक मगध बुद्धकाल में शक्तिशाली व संगठित राजतंत्र था। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी। इस राज्य का विस्तार उत्तर में गंगा, पश्चिम में सोन तथा दक्षिण में जगंलाच्छादित पठारी प्रदेश तक था। कालांतर में मगध का उत्तरोत्तर विकास होता गया और भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के विकास की दृष्टि से मगध का इतिहास ही संपूर्ण भारतवर्ष का इतिहास बन गया।
 
मगध के इतिहास की जानकारी के प्रमुख साधन के रूप में पुराण, सिंहली ग्रंथ दीपवंस, महावंस अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इसके अलावा भगवतीसूत्र, सुत्तनिपात, चुल्लवग्ग, सुमंगलविलासिनी, जातक ग्रंथों से भी कुछ सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
 
==मगध के उत्कर्ष के कारक==
मगध साम्राज्यवाद का उदय और विस्तार प्राक्-मौर्यायुगीन भारतीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण घटना है। बुद्धकाल में मगध अपने समकालीन सभी महाजनपदों को आत्मसात् कर तीव्रगति से उन्नति के पथ पर अग्रसर होता गया। मगध के इस उत्कर्ष के अनेक कारण थे ।

Revision as of 10:19, 18 February 2023

मगध महाजनपद प्राचीनकाल से ही राजनीतिक उत्थान, पतन एवं सामाजिक-धार्मिक जागृति का केंद्र-बिंदु रहा है। छठीं शताब्दी ई.पू. के सोलह महाजनपदों में से एक मगध बुद्धकाल में शक्तिशाली व संगठित राजतंत्र था। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी। इस राज्य का विस्तार उत्तर में गंगा, पश्चिम में सोन तथा दक्षिण में जगंलाच्छादित पठारी प्रदेश तक था। कालांतर में मगध का उत्तरोत्तर विकास होता गया और भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के विकास की दृष्टि से मगध का इतिहास ही संपूर्ण भारतवर्ष का इतिहास बन गया।

मगध के इतिहास की जानकारी के प्रमुख साधन के रूप में पुराण, सिंहली ग्रंथ दीपवंस, महावंस अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इसके अलावा भगवतीसूत्र, सुत्तनिपात, चुल्लवग्ग, सुमंगलविलासिनी, जातक ग्रंथों से भी कुछ सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।

मगध के उत्कर्ष के कारक

मगध साम्राज्यवाद का उदय और विस्तार प्राक्-मौर्यायुगीन भारतीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण घटना है। बुद्धकाल में मगध अपने समकालीन सभी महाजनपदों को आत्मसात् कर तीव्रगति से उन्नति के पथ पर अग्रसर होता गया। मगध के इस उत्कर्ष के अनेक कारण थे ।