मेष लग्न - सूर्य प्रथम भाव में: Difference between revisions

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यदि मेष का सूर्य प्रथम केन्द्र देह के स्थान में, उच्च का होकर, मित्र मंगल की राशि पर बैठा है तो, देह का कद प्रभावशाली रहेगा और बुद्धि में उत्तेजना शक्ति रहेगी, तथा विद्या के स्थान में महानता प्राप्त होगी और वाणी में प्रभाव रहेगा तथा हृदय से बड़ा भारी स्वाभिमान होगा तथा संतान पक्ष में, उत्तम शक्ति रहेगी, किन्तु सूर्य, सातवीं नीच दृष्टि से, स्त्री एवं रोजगार के स्थान को देख रहा है इसलिये स्त्री स्थान में क्लेश एवं कष्ट तथा सुन्दरता की कमी प्राप्त होगी और रोजगार के मार्ग में कुछ परेशानियाँ तथा कुछ कमी प्रतीत होगी और गृहस्थी के सुख सम्बन्धों में एवं संचालन में कुछ दिक्कतें रहेंगी
यदि मेष का सूर्य प्रथम केन्द्र देह के स्थान में, उच्च का होकर, मित्र मंगल की राशि पर बैठा है तो, देह का कद प्रभावशाली रहेगा और बुद्धि में उत्तेजना शक्ति रहेगी, तथा विद्या के स्थान में महानता प्राप्त होगी और वाणी में प्रभाव रहेगा तथा हृदय से बड़ा भारी स्वाभिमान होगा तथा संतान पक्ष में, उत्तम शक्ति रहेगी, किन्तु सूर्य, सातवीं नीच दृष्टि से, स्त्री एवं रोजगार के स्थान को देख रहा है इसलिये स्त्री स्थान में क्लेश एवं कष्ट तथा सुन्दरता की कमी प्राप्त होगी और रोजगार के मार्ग में कुछ परेशानियाँ तथा कुछ कमी प्रतीत होगी और गृहस्थी के सुख सम्बन्धों में एवं संचालन में कुछ दिक्कतें रहेंगी
[[Category:Astrology]]
[[Category:भारतीय ज्योतिष]]
[[Category:मेष लग्न]]
[[Category:सूर्य प्रथम भाव में]]

Revision as of 14:10, 23 April 2024

विद्या, बुद्धि व संतान स्थान का स्वामी सूर्य कुंडली के प्रथम भाव में मेष राशी होने पर फलादेश

यदि मेष का सूर्य प्रथम केन्द्र देह के स्थान में, उच्च का होकर, मित्र मंगल की राशि पर बैठा है तो, देह का कद प्रभावशाली रहेगा और बुद्धि में उत्तेजना शक्ति रहेगी, तथा विद्या के स्थान में महानता प्राप्त होगी और वाणी में प्रभाव रहेगा तथा हृदय से बड़ा भारी स्वाभिमान होगा तथा संतान पक्ष में, उत्तम शक्ति रहेगी, किन्तु सूर्य, सातवीं नीच दृष्टि से, स्त्री एवं रोजगार के स्थान को देख रहा है इसलिये स्त्री स्थान में क्लेश एवं कष्ट तथा सुन्दरता की कमी प्राप्त होगी और रोजगार के मार्ग में कुछ परेशानियाँ तथा कुछ कमी प्रतीत होगी और गृहस्थी के सुख सम्बन्धों में एवं संचालन में कुछ दिक्कतें रहेंगी